जिले की सभी सीएचसी पर स्थापित होंगे हैंडवाश यूनिट


 सोप बैंक के हथियार से होगा कोराना पर वार 



- कसमंडा ब्लॉक की 30 ग्राम पंचायतों में चलेगा कार्यक्रम


सीतापुर, 25 फरवरी। शुरूआत भले ही छोटी सी हो, लेकिन ग्रामीणों को कोरोना सहित अन्य तमाम संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए यह एक सार्थक पहल है। आगा खां फाउंडेशन कसमंडा ब्लॉक के 30 गांवों में साबुन बैंक बना रहा है। जल्द ही इन बैंकों की शुरूआत भी होने जा रही है। इसके अलावा फाउंडेशन द्वारा जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित पांच आंगनबाड़ी केंद्रों और पांच ग्राम पंचायतों में हैंडवाश यूनिट की यूनिट की स्थापना की जा रही है। 

फाउंडेशन द्वारा कसमंडा ब्लॉक की चयनित 30 ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य विभाग, बाल विकास पुष्टाहार और पंचायती राज विभाग के सहयोग से स्वच्छता एवं व्यवहार परिवर्तन गठबंधन परियोजना का संचालन किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत सामुदायिक बैठकों, नुक्कड़ नाटकों, चौपालों, स्वच्छता रथ, दीवार लेखन और परस्पर प्रदर्शन के माध्यम से ग्रामीणों को हाथों की धुलाई के बारे में  जानकारी देते हुए जरूरी यह जानकारी दी जा रही है कि हाथों के साफ होने से वह किस तरह से संक्रामक रोगों से बच सकते हैं। इसी कड़ी में अब फाउंडेशन द्वारा साबुन बैंक की स्थापना की जा रही है। 

इन सभी ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक शौचालयों के निकट ही साबुन बैंक की स्थापना की जा रही है। जहां पर फाउंडेशन द्वारा हाथ धुलने के लिए प्रति सप्ताह 12-12 साबुन तीन-चार माह तक उपलब्ध कराए जाएंगे। कार्यक्रम के प्रबंधक विवेक अवस्थी बताते हैं कि हम लोग गांव के प्रधान, एएनएम, शिक्षक आदि प्रतिष्ठित लोगों से अपील करते हैं कि वह इस बैंक के नियमित संचालन के लिए साबुन दान भी करें, जिससे कि तीन-चार माह बाद भी हमारे पास साबुन की कमी न पड़े और ग्रामीण नियमित रूप से खुले में शौच जाने और मिट्टी से हाथ धुलने के बजाए शौच के लिए सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करें और बाद में अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धुलें। परियोजना के स्टेट लीड जयराम पाठक और क्षेत्र समन्वयक विश्वनाथ सगरे का कहना है कि कोरोना सहित अन्य तमाम संक्रामक रोगों से बचाव के लिए हाथों को नियमित रूप से समय-समय पर धोना जरूरी है। इसी उद्देश्य को लेकर सोप बैंक की स्थापना की जा रही है, जिससे शौचालय में आने वाला हर एक ग्रामीण अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धो सके।

कार्यक्रम के बीसीसी मधुकर पांडेय बताते हैं कि इस कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए तीन पैरा वर्कर और सात प्रोत्साहन वर्कर की तैनाती की गई है। यह लोग इन साबुन बैंकों का समय-समय पर निरीक्षण करते रहेंगे। कसमंडा सीएचसी प्रभारी डॉ. अरविंद बाजपेयी का कहना है कि क्षेत्र के गांवों में हुई यह अनूठी पहल सराहनीय है। इस नई व्यवस्था के बाद ग्रामीणों के व्यवहार में परिवर्तन होगा, उनकी आदतों में बदलाव होने से वह कम बीमार पड़ेंगे।

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