*अभय अवस्थी एडवोकेट*
आजकल न्यायालय में फर्जी मुंशियों एवं फर्जी अधिवक्ताओं की बाढ़ आ गई है जब कोई व्यक्ति न्यायालय में प्रवेश करता है तो वह जान नहीं पाता कि यह असली अधिवक्ता हैं या फिर फर्जी अधिवक्ता। इसके अलावा न्यायालय में अपंजीकृत मुंशियों की भरमार आ गई है जो न्यायालय परिसर में सफेद पैंट सफेद शर्ट तथा काले रंग की कोटी भी पहनकर घूमा करते हैं तहसील आने वाला व्यक्ति यह समझता है कि यही अधिवक्ता हैं इसलिए आवश्यक है वार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे न्यायपालिका में सही काम हो सके। इसलिए आवश्यक है कि फर्जी अधिवक्ताओं और मुंशीयों के प्रति कार्रवाई की जानी चाहिए।नियम यह बनाया जाए की
1.उत्तर प्रदेश में जितने भी न्यायालय हैं उनमें दावा करते समय अधिवक्ता के सीओपी कार्ड की छाया प्रति ली जाए।
2. यह कि न्यायालय में जिस प्रकार अधिवक्ता के लिए यूनिफार्म निर्धारित होती है उसी प्रकार मुंशियों के भी यूनिफार्म का निर्धारण हो।
3. यह कि तहसील के मुंशियों का भी पंजीयन किया जाए साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके परिचय पत्र पर उनके अधिवक्ता का नाम भी लिखा जाए ताकि न्यायपालिका के कर्मचारियों को यह ज्ञात हो सके कि यह व्यक्ति किस अधिवक्ता का मुंशी है
4. यह कि उत्तर प्रदेश वार काउंसिल यह निर्देश जारी करें कि जितने न्यायालय उत्तर प्रदेश में है उनके मुंशी का भी रिकार्ड रखा जाए
5. क्या कि फर्जी अधिवक्ता बनकर मुंशी लोग असली अधिवक्ता का शोषण कर रहे हैं इनके इस कृत्य से न्यायपालिका की गरिमा पर असर पड़ रहा है कभी कभी यह न्यायालयों में वाद भी दायर कर आते है।
6. यह कि अधिवक्ता वाद के दायर करते समय जब वकालत नामा दाखिल करे तो उस पर अपना सीओपी नंबर लिखें तथा अपना मोबाइल नंबर लिखें।
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